शीतकालीन सत्र जनहितकारी रही और इस अवधि में कई बिल पर जमकर चर्चा हुई / दुर्गा प्रसाद सिंह , विधायक , उजियारपुर समस्तीपुर
Dpsinghmla-org
Sunday 3 August 2014
Wednesday 30 January 2013
धरती पर ढ़ेरो आते है यायावर ,पर कुछ ही होते है कर्पूरी जैसे कद्दावर
कल्पना कीजिए कि किसी विधायक के पिता को कोई सामंती डंडे से इतना पीटे कि वह जमीन पर गिर पड़ें और उसके पैरों को पकड़ कर दया की भीख मांगे. लेकिन जब इस घटना की भनक विधायक पुत्र और प्रशासन को लगी होगी तो अंजाम क्या हुआ होगा ? कुछ नहीं ! इतना ही नहीं उस सामंती को सजा दिलाने के बदले खुद वह विधायक असाधारण महानता दिखाते हुए अपने पिता की ओर से सामनती से माफी मांगे.
यह घटना जुड़ी है बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर से. बड़े भावुक अंदाज में इस घटना का जिक्र कर्पूरी ठाकुर के बेटे और बिहार के पूर्व मंत्री रामनाथ ठाकुर सुनाते हुए कहते हैं “बाबू जी ने जिस दिन 1952 में विधानसभा की सीट जीती उस दिन उनके पिता गोकुल ठाकुर जश्न मनाने लगे और देर हो गई. इस कारण वह अपने महाजन (रामनाथ को उस आदमी का नाम याद नहीं) की दाढ़ी बनाने देर से पहुंचे. बस क्या था उस सामंती का क्रोध जाग उठा और उसने मेरे दादा को बेरहमी से पीटा. जब इसकी खबर कर्पूरी बाबू को मिली तो उन्होंने पुलिस अधिकारियों को आगाह किया कि वे उनके निजी मामले में न पड़ें, फिर वे दादा जी के साथ महाजन के दरबार में पहुंचे और उनकी ओर से माफी मांगी.”
बताया जाता है कि इस घटना का इतना व्यापक असर पड़ा कि पिछड़ों और दलितों में जननायक से विख्यात कर्पूरी बाबू को उच्च वर्गों का भी भारी जनसमर्थन मिलता रहा और वे 1952 से अपनी मृत्यु 18 फरवरी 1988 तक विधानसभा के किसी भी चुनाव में कभी परास्त नहीं हुए.
यह घटना जननायक के नाम से मशहूर कर्पूरी ठाकुर के व्यक्तित्व का वह आईना है जिन्होंने वर्णवादी व्यवस्था के मजबूत किले को दरका कर सामाजिक न्याय की धारा को नई दिशा दी. और जिनके बनाये रास्ते पर रामविलास पासवान, लालू प्रसाद व नीतीश कुमार चल कर आगे बढ़े.
एक गरीब नाई परिवार के यहाँ समस्तीपुर के पितौझिया गांव में 24 जनवरी 1924 को जन्मे कर्पूरी पेट भरने के लिए खुद भी अपने पिता के साथ महाजनों की हजामत बनाते थे. लेकिन समाज बदलने की उनकी विशाल आकांक्षा ने उन्हें बिहार के मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचा दिया. 1970 में मुख्यमंत्री के पद पर वह तब आसीन हुए जब सामंतवाद की जकड़न समाज से ढ़ीली भी नहीं हुई थी. वह बिहार के पहले गैरकांग्रेसी मुख्यमंत्री बने.दलितों और पिछड़ों में सामाजिक चेतना जागृत कर शोषण से मुक्ति दिलाने के नारे के साथ उन्होंने दूसरी बार 1977 में भी मुख्यमंत्री का पद संभाला.
इससे पहले वह शिक्षा मंत्री के रूप में अपनी सेवायें दे चुके थे. राम मनोहर लोहिया से समाजवाद की शिक्षा लेने वाले कर्पूरी यह मानते थे कि शिक्षा और रोजगार के अवसर के बिना पिछड़ों को समाज में बराबरी का दर्जा नहीं मिल सकता. जेपी आनदेलन में कर्पूरी के साथ काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता कारू बताते हैं “बतौर शिक्षामत्री कर्पूरी बाबू यह अच्छी तरह जानते थे कि पिछड़ों और दलितों के लिए पढ़ाई में असफल होने की वजह अंग्रेजी विषय में फेल होना थी, क्योंकि उस दौर में अंग्रेजी आम लोगों की पहुंच से दूर थी. उन्होंने मैट्रिक तक अंग्रेजी को वैकल्पिक भाषा बना दिया जिससे इसमें फेल होने के बावजूद हजारों छात्र मैट्रिक पास करने लगे. कर्पूरी के इस फार्मूले ‘पास विदाउट इंग्लिश’ (पीडब्ल्यूई) की काफी आलोचना भी हुई. लोग ऐसे छात्रों को पीड्ब्ल्यूडी कह कर चिढ़ाया करते थे.”
सामाजिक न्याय के पथप्रदर्शक
लेकिन इसके व्यापक प्रभाव का लोगों को तब अंदाजा हुआ जब 1978 में उन्होंने पिछड़ी जातियों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण दे दिया. कर्पूरी के इस फैसले के पहले समाज की पिछड़ी जातियों का एक बड़ा तबका सरकारी सेवाओं में जाने की कल्पना भी नहीं कर सकता था. बिहार राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य निहोरा प्रसाद यादव कर्पूरी के करीब रहे हैं. वह कहते हैं, “आजादी के बाद की राजनीति में पिछड़ा उभार की धारा के सृजनकर्ता कर्पूरी बाबू ही थे जिन्होंने ने सामाजिक और राजनीतिक आनदोलनों के बूते संसदीय राजनीति में पिछड़ों और शोषितों का लोहा मनवाया था. और बाद में इस धारे की अगुवाई लालू प्रसाद और नीतीश कुमार ने की. कर्पूरी बाबू अपनी मौत के पहले विधानसभा में विरोधी दल के नेता थे और उनके बाद यह पद लालू प्रसाद को ही मिला.”
लालू और नीतीश पर कर्पूरी बाबू के व्यापक प्रभाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ये दोनों इस बात को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करते हैं कि जननायक ही उनके राजनीतिक संरक्षक रहे हैं. पिछले दिनों एक समारोह में नीतीश ने कहा भी था, “कर्पूरी बाबू गरीबों के वास्तविक रूप में मसीहा थे और बिहार का विकास जननायक के सामाजिक न्याय के रास्ते का अनुसरण करके ही संभव है.” नीतीश ने जब अतिपिछड़ों और महिलाओं को पंचायतों में आरक्षण देने की घोषणा की तब भी उन्होंने कर्पूरी को याद करते हुए कहा था कि यह कर्पूरी के अधूरे कामों को बढ़ाने का प्रयास है.
कर्पूरी ठाकुर जहाँ पिछड़ों को आरक्षण देने जैसे मुश्कलि फैसले लेने में पीछे नहीं हटे वहीं उन्होंने अपने कार्यकाल में बेरोजगारी कम करने के लिए अनेक लोकलुभावन फैसले भी लिए. इनमें से एक यह भी था कि उन्होंने बिहार के छह हजार इंजिनियरों को पटना के गांधी मैदान में बुलाकर नियुक्तिपत्र सौंपा था. उस अभियान में शायद ही कोई इंजिनियर ऐसा बचा जो बेरोजगार रह गया हो. कर्पूरी के ऐसे कदम से उन्हें जननायक तक कहा जाने लगा. वहीं दूसरी ओर कर्पूरी में आम आदमी के साथ जुड़े रहने की अद्भुत कला भी थी. बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक डी.पी ओझा, जो कर्पूरी के मुख्यमंत्रित्व काल में उनके गृह जिला के एसपी थे, उन दिनों को याद करते हैं, “कर्पूरी बाबू जब भी समस्तीपुर आते कभी सर्किट हाउस में नहीं ठहरते बल्कि रात में किसी गरीब की झोपड़ी में रात गुजारते थे. इसी तरह कर्पूरी की सादगी के किस्से भी काफी मशहूर हैं. उनके अंतिम दिनों तक साथ रहने वाले निहोरा प्रसाद कहते हैं, “जब बाबू जी विरोधी दल के नेता थे तो उन्होंने सुबह-सुबह मुझे बुलाया और मेरी मोटरसाइकिल पर सवार होकर उन विदेशी पत्रकारों से मिलने चले गये जिन्हें उन्होंने एक होटल में ठहराया था. इस दौरान रास्ते भर लोग उन्हें अचरज भरी निगाहों से देखते रहे.”
कर्पूरी ठाकुर ने भले ही मुंगेरी लाल कमीशन की सिफारिशों को लागू कर पिछड़ों को पहली बार नौकरियों में आरक्षण दिया और समाज के एक हिस्से में नायक की हैसियत पा गये लेकिन उनके इस कदम का समाज के एक हिस्से ने काफी आलोचना भी की. इन आलोचकों का मानना था कि नौकरियों में आरक्षण देने से वास्तविक प्रतिभा के साथ इंसाफ नहीं हो सकेगा. इस फैसले के खिलाफ आनदोलन भी चला. कई लोग मानते हैं कि आरक्षण लागू करने के इस फैसलने के बाद बिहार में अगड़ों और पिछड़ों का स्पष्ट राजनीतिक और सामाजिक विभाजन तभी से शुरू हुआ.
कर्पूरी ठाकुर के राजनीतिक और सामाजिक योगदान पर कुछ विरोधास होना स्वभाविक है पर उनके महत्वपूर्ण योगदान का ही परिणाम है कि बिहार सरकार ने 2008 में विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित कर जननायक को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग तक कर दी.
anna rally ko sambodhit karte hua |
भ्रष्टाचार के खिलाफ हुंकार भरा अस्सी साल का नौजवान अन्ना
भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलनरत गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे देश भर में आंदोलन को नए स्वरूप में खडा करने के बाद आज पटना के गांधी मैदान में एतिहासिक रैली की है । अन्ना ने जयप्रकाश नारायण की जमीन से 'जनतंत्र' रैली का आयोजन कर एक राजनीतिक संदेश देने की भी कोशिश की है।
गांधी और जेपी की कर्मभूमि से अपनी क्रांति का नया अध्याय लिखने वाले अन्ना ने भ्रष्टाचार के खिलाफ देशभर में एक और अलख जगा कर आंदोलन का दूसरा अध्याय लिख डाला . जन लोकपाल और राइट टू रिजेक्शन के अधिकार के लिए देशव्यापी यात्रा पर निलकने की शुरुआत बिहार से करने की घोषणा के साथ उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने इसी बिहार की धरती से आंदोलन खड़ा किया था। जय प्रकाश नारायण का आंदोलन भी यहीं से फूटा और मुल्क में परिवर्तन की आंधी चली थी। बिहार पवित्र भूमि है मै उन महापुरुषों के सानिंध्य में रह कर अपने आप को और उर्यावान महसुस कर रहा हु ।
अन्ना ने ऐतिहासिक गांधी मैदान से जनतंत्र रैली में बापू की खून सने घास से लोगों को व्यवस्था परिवर्तन की शपथ दिलवाई । अन्ना के सहयोगी और पूर्व थल सेना अध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने कहा कि लंदन में नीलामी में खरीदी गई महात्मा गांधी के खून सने घास से अन्ना हजारे लोगों को व्यवस्था परिवर्तन की शपथ दिलवाई है । इस खून सनी मिटटी को कमल मोरारका ने यह ब्रिटेन में नीलामी के दौरान खरीदी है और ब्रिटेन से इसे पटना लाया गया है।
अन्ना हजारे ने जनतंत्र रैली को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्तर का " जनतंत्र मोर्चा " बनाने का एलान किया .यह मोर्चा चुनावों से दूर रहेगा.अन्ना ने देशभर में लोगों को जागरूक करने के लिए नया अभियान शुरू किया.उन्होनें कहा कि अब व्यवस्था में बदलाव ही हमारा लक्ष्य है.अन्ना ने कहा है कि यह बदलाव लोकपाल, चुनाव में उम्मीदवारों को रिजेक्ट करने और ग्रामसभाओ को सत्ता देने से आएगा.कृषि क्षेत्र की उपेक्षा पर तो अन्ना ध्यान खीचेंगे ही साथ ही किसान संगठनों को भी एकजुट करने की कोशिश करेंगे.
अन्ना हजारे ने कहा कि केंद्र की मौजूदा सरकार भ्रष्टाचार को लेकर कभी गंभीर नहीं दिखी। इस सरकार में भ्रष्टाचार को खत्म करने का माद्दा नहीं है। उन्होंने कहा कि जन लोकपाल के साथ-साथ राइट टू रिजेक् शन का अधिकार भी लोगों को मिलना चाहिए। ग्राम सभा को और अधिकार देने की जरूरत है। हजारे ने कहा कि संपूर्ण परिवर्तन के बगैर देश के 120 करोड़ लोगों को न्याय नहीं मिलेगा। लिहाजा, उन्होंने तय किया है कि अगले महीने वह चार राज्यों के दौरे पर निकलेंगे और उसके बाद उनका यह क्रम साल-डेढ़ साल तक चलेगा। घर-घर जाकर लोगों को बताना होगा। उन्होंने पूछा: प्रजातंत्र कहां हैं? कहां है लोकशाही?
जनतांत्रिक मोर्चा के लिए अन्ना ने लोगों से सुझाव देने की अपील भी की. इसके लिए उन्होंने कुछ टेलीफोन नंबर भी जारी किए हैं.( जनतंत्रअन्नाहजारे.ओआरजी ०९९२३५९९२३४ ) , ( जनतंत्र मोर्चा ०९६५६२६८६८० )
इस बार नई टीम के साथ अन्ना अपने आंदोलन की फिर से शुरुआत पटना के गाधी मैदान से की और इसके लिए उन्होंने महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के दिन को चुना । इस बार अन्ना आंदोलन की शुरुआत भी एक नई टीम के साथ हुई । उनके साथ हमेशा मंच पर नजर आने वाले पुराने साथी इस बार नजर नहीं आये । अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया, कुमार विश्वास, अरविंद गौड़ और संजय सिंह जैसे लोग अन्ना के आंदोलन से दूरी बना कर रखी है . पटना में उनकी रैली के पोस्टर पर न कोई पुराना नारा है और न ही कोई पुराना साथी। आज की जनतांत्रिक रैली के बैनरों और पोस्टरों पर अन्ना के साथ रिटायर्ड जनरल वीके सिंह ही नजर आ रहे हैं। अन्ना हजारे ने इस बार के अपने आंदोलन को व्यवस्था परिवर्तन के नारे के साथ शुरू करने का फैसला किया ।
अन्ना टीम की और से इस रैली में पूर्व थल सेना अध्यक्ष जनरल वीके सिंह, किरण वेदी, संतोष भारतीय, गिलानी कतार, भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत अधिकारी पंचम लाल सहित देश के जाने-माने चिंतक, बुद्धिजीवी, समाजसेवी लोगों ने मच से अपने बिचार व्यक्त किये .
जनतंत्र रैली में जेपी के पूर्व सहयोगी लखनउ के राम धीरज, राजीव हेमकेशव और राकेश रफी इसके अलावा भूमि सुधार का अभियान चला रहे पीवी राजगोपाल, जल संरक्षण आंदोलन से जुड़े मैगसायसाय पुरस्कार विजेता राजेंद्र सिंह, पूर्व सेनाध्यक्ष वीके सिंह, वरिष्ठ पत्रकार संतोष भारतीय प्रमुख रूप से उपस्थित रहें
kesaw kumar For Biharone.orgभ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलनरत गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे देश भर में आंदोलन को नए स्वरूप में खडा करने के बाद आज पटना के गांधी मैदान में एतिहासिक रैली की है । अन्ना ने जयप्रकाश नारायण की जमीन से 'जनतंत्र' रैली का आयोजन कर एक राजनीतिक संदेश देने की भी कोशिश की है।
गांधी और जेपी की कर्मभूमि से अपनी क्रांति का नया अध्याय लिखने वाले अन्ना ने भ्रष्टाचार के खिलाफ देशभर में एक और अलख जगा कर आंदोलन का दूसरा अध्याय लिख डाला . जन लोकपाल और राइट टू रिजेक्शन के अधिकार के लिए देशव्यापी यात्रा पर निलकने की शुरुआत बिहार से करने की घोषणा के साथ उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने इसी बिहार की धरती से आंदोलन खड़ा किया था। जय प्रकाश नारायण का आंदोलन भी यहीं से फूटा और मुल्क में परिवर्तन की आंधी चली थी। बिहार पवित्र भूमि है मै उन महापुरुषों के सानिंध्य में रह कर अपने आप को और उर्यावान महसुस कर रहा हु ।
अन्ना ने ऐतिहासिक गांधी मैदान से जनतंत्र रैली में बापू की खून सने घास से लोगों को व्यवस्था परिवर्तन की शपथ दिलवाई । अन्ना के सहयोगी और पूर्व थल सेना अध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने कहा कि लंदन में नीलामी में खरीदी गई महात्मा गांधी के खून सने घास से अन्ना हजारे लोगों को व्यवस्था परिवर्तन की शपथ दिलवाई है । इस खून सनी मिटटी को कमल मोरारका ने यह ब्रिटेन में नीलामी के दौरान खरीदी है और ब्रिटेन से इसे पटना लाया गया है।
अन्ना हजारे ने जनतंत्र रैली को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्तर का " जनतंत्र मोर्चा " बनाने का एलान किया .यह मोर्चा चुनावों से दूर रहेगा.अन्ना ने देशभर में लोगों को जागरूक करने के लिए नया अभियान शुरू किया.उन्होनें कहा कि अब व्यवस्था में बदलाव ही हमारा लक्ष्य है.अन्ना ने कहा है कि यह बदलाव लोकपाल, चुनाव में उम्मीदवारों को रिजेक्ट करने और ग्रामसभाओ को सत्ता देने से आएगा.कृषि क्षेत्र की उपेक्षा पर तो अन्ना ध्यान खीचेंगे ही साथ ही किसान संगठनों को भी एकजुट करने की कोशिश करेंगे.
अन्ना हजारे ने कहा कि केंद्र की मौजूदा सरकार भ्रष्टाचार को लेकर कभी गंभीर नहीं दिखी। इस सरकार में भ्रष्टाचार को खत्म करने का माद्दा नहीं है। उन्होंने कहा कि जन लोकपाल के साथ-साथ राइट टू रिजेक् शन का अधिकार भी लोगों को मिलना चाहिए। ग्राम सभा को और अधिकार देने की जरूरत है। हजारे ने कहा कि संपूर्ण परिवर्तन के बगैर देश के 120 करोड़ लोगों को न्याय नहीं मिलेगा। लिहाजा, उन्होंने तय किया है कि अगले महीने वह चार राज्यों के दौरे पर निकलेंगे और उसके बाद उनका यह क्रम साल-डेढ़ साल तक चलेगा। घर-घर जाकर लोगों को बताना होगा। उन्होंने पूछा: प्रजातंत्र कहां हैं? कहां है लोकशाही?
जनतांत्रिक मोर्चा के लिए अन्ना ने लोगों से सुझाव देने की अपील भी की. इसके लिए उन्होंने कुछ टेलीफोन नंबर भी जारी किए हैं.( जनतंत्रअन्नाहजारे.ओआरजी ०९९२३५९९२३४ ) , ( जनतंत्र मोर्चा ०९६५६२६८६८० )
इस बार नई टीम के साथ अन्ना अपने आंदोलन की फिर से शुरुआत पटना के गाधी मैदान से की और इसके लिए उन्होंने महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के दिन को चुना । इस बार अन्ना आंदोलन की शुरुआत भी एक नई टीम के साथ हुई । उनके साथ हमेशा मंच पर नजर आने वाले पुराने साथी इस बार नजर नहीं आये । अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया, कुमार विश्वास, अरविंद गौड़ और संजय सिंह जैसे लोग अन्ना के आंदोलन से दूरी बना कर रखी है . पटना में उनकी रैली के पोस्टर पर न कोई पुराना नारा है और न ही कोई पुराना साथी। आज की जनतांत्रिक रैली के बैनरों और पोस्टरों पर अन्ना के साथ रिटायर्ड जनरल वीके सिंह ही नजर आ रहे हैं। अन्ना हजारे ने इस बार के अपने आंदोलन को व्यवस्था परिवर्तन के नारे के साथ शुरू करने का फैसला किया ।
अन्ना टीम की और से इस रैली में पूर्व थल सेना अध्यक्ष जनरल वीके सिंह, किरण वेदी, संतोष भारतीय, गिलानी कतार, भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत अधिकारी पंचम लाल सहित देश के जाने-माने चिंतक, बुद्धिजीवी, समाजसेवी लोगों ने मच से अपने बिचार व्यक्त किये .
जनतंत्र रैली में जेपी के पूर्व सहयोगी लखनउ के राम धीरज, राजीव हेमकेशव और राकेश रफी इसके अलावा भूमि सुधार का अभियान चला रहे पीवी राजगोपाल, जल संरक्षण आंदोलन से जुड़े मैगसायसाय पुरस्कार विजेता राजेंद्र सिंह, पूर्व सेनाध्यक्ष वीके सिंह, वरिष्ठ पत्रकार संतोष भारतीय प्रमुख रूप से उपस्थित रहें
Wednesday 7 November 2012
sardhanjali sabha me bhag lete
समस्तीपुर 07.11.2012
आज स्वर्गीय राम सेवक हजारी जी के मुजारी गाँव में उनके आवास परिसर में आयोजित सर्धन्जली सभा में राज्य के उप मुख्यमंत्री श्री सुशिल कुमार मोदी ,श्री विजय कुमार चौधरी मंत्री जल संसाधन, मंत्री पशुपालन श्री गिरिराज सिंह ,स्पीकर बिहार बिधान सभा श्री श्री उदय नारायण चौधरी,बिधायक श्री दुर्गा प्रसाद सिंह आर जे डी उजियारपुर सांसद अश्वमेघ देवी सहित कई बिधायक सांसद आदि ने सर्धांजलि अर्पित की .
अपलोड राम बालक रॉय
आज स्वर्गीय राम सेवक हजारी जी के मुजारी गाँव में उनके आवास परिसर में आयोजित सर्धन्जली सभा में राज्य के उप मुख्यमंत्री श्री सुशिल कुमार मोदी ,श्री विजय कुमार चौधरी मंत्री जल संसाधन, मंत्री पशुपालन श्री गिरिराज सिंह ,स्पीकर बिहार बिधान सभा श्री श्री उदय नारायण चौधरी,बिधायक श्री दुर्गा प्रसाद सिंह आर जे डी उजियारपुर सांसद अश्वमेघ देवी सहित कई बिधायक सांसद आदि ने सर्धांजलि अर्पित की .
अपलोड राम बालक रॉय
समस्तीपुर 07.11.2012
आज स्वर्गीय राम सेवक हजारी जी के मुजारी गाँव में उनके आवास परिसर में आयोजित सर्धन्जली सभा में राज्य के उप मुख्यमंत्री श्री सुशिल कुमार मोदी ,श्री विजय कुमार चौधरी मंत्री जल संसाधन, मंत्री पशुपालन श्री गिरिराज सिंह ,स्पीकर बिहार बिधान सभा श्री श्री उदय नारायण चौधरी,बिधायक श्री दुर्गा प्रसाद सिंह आर जे डी उजियारपुर सांसद अश्वमेघ देवी सहित कई बिधायक सांसद आदि ने सर्धांजलि अर्पित की .बिदित हो की श्री हजारी कर्पूरी ठाकुर के समकालीन व समाजवादी आन्दोलन के करी के रूप में थे
उनके निधन से समस्तीपुर की समाजवादी धारा कमजोर पर गयी
अपलोड राम बालक रॉय
आज स्वर्गीय राम सेवक हजारी जी के मुजारी गाँव में उनके आवास परिसर में आयोजित सर्धन्जली सभा में राज्य के उप मुख्यमंत्री श्री सुशिल कुमार मोदी ,श्री विजय कुमार चौधरी मंत्री जल संसाधन, मंत्री पशुपालन श्री गिरिराज सिंह ,स्पीकर बिहार बिधान सभा श्री श्री उदय नारायण चौधरी,बिधायक श्री दुर्गा प्रसाद सिंह आर जे डी उजियारपुर सांसद अश्वमेघ देवी सहित कई बिधायक सांसद आदि ने सर्धांजलि अर्पित की .बिदित हो की श्री हजारी कर्पूरी ठाकुर के समकालीन व समाजवादी आन्दोलन के करी के रूप में थे
उनके निधन से समस्तीपुर की समाजवादी धारा कमजोर पर गयी
अपलोड राम बालक रॉय
Sunday 21 October 2012
DPSingh yani Sri Prasad Singh Apne UJIYARPUR ke pahle Bidhayak
माता महागौरी की असीम कृपा से आज मै अपने बिधायक जी श्री दुर्गा प्रसाद सिंह जी के ब्लॉग की शुरूआत की है . यह ब्लॉग को राम बालक रॉय समस्तीपुर से अपडेट करते रहेंगे
जय माता दी .
जय माता दी .
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